Thursday, November 25, 2010

लहू से ♥ पे

लहू से ♥ पे जो खीचा था नक्शा कैसे मिटादु !
तू ही बता मैं तुझको अपने ♥ से कैसे भुलादु !!
मेरे हस्ती को तो बस आस थी तेरे वजूद की !
मेरे हस्ती का जो हशी है उसे कैसे भुला दु !!
मेरे तनहाई में जो साथ मेरा छोर न पाया !
सब से फुरसत का जो हशी है उसे कैसे भुलादु !!
जिनकी तलाश में मेरा जीवन गुजर गया !
उस दोस्त को पाकर उसे कैसे भुला दु !!
वही तो याद थी सदा वही याद है सदा !
जो याद रहेगी सदा उसे कैसे भुला दु !!

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